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Friday, July 14, 2017

न्यूट्रल होना चाहती हूं मैं...



अब आपकी तारीफ से मुझ पर कोई असर नहीं होता मतलब न निगेटिव न पॉजिटिव। न्यूट्रल वर्ड से वाकिफ ही होंगे chemistry में पढ़ा हो शायद और यदि नहीं पढ़ा तो मैं बता देती हूं, जिसपर किसी भी केमिकल रिएक्शकन का कोई असर नहीं होता उसका अपना अस्तिरत्व होता है बिल्कुल न्यूट्रल सा।
वैसे भी आपके और आपके पूरे परिवार से मैंने आज तक अपने लिए तारीफ के बोल बिल्कुल भी नहीं सुना है और अगर सुना भी है तो वह बेमतलब नहीं होता। यानि उसके पीछे कोई कारण होता है, या तो मुझे खुश करवाकर अपना काम साधना या फिर कोई काम करवाना।
खैर, अक्सर पत्नियां अपने पति से तारीफ सुनती हैं और खुश होती हैं, लेकिन मैं अपवाद हूं शायद। मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ कभी भी। हां हाल का एक वाकया याद है कि आपके सामने ही आपकी एक जूनियर कलीग लड़की ने मेरी तारीफ की थी, जिसपर आपने कहा अरे, किसी के सामने उसकी तारीफ नहीं करते। मैं बिल्कुील चौंक गयी थी उस पल को क्योंहकि दस साल होने को आए शादी के... अब तक आपने नहीं पहचाना मुझे तो अब क्या् पहचानेंगे। बस उस पल ही दिल से उम्‍मीद की वो डोर भी तोड़ दी जिसकी चाह थी कि कभी तो आप मेरे होंगे।
अब मैं खुश हूं तारीफ किया नहीं किया सब बराबर मेरे लिए। अब कोई उम्मीद नहीं रखना चाहती मैं आपसे और न आपके परिवार के किसी व्यक्ति से। बस रहना है आपके घर में जहां हर सांस पर यह अहसास दिलाया गया है कि तुम्हें ये करना है, ये नहीं करना है, इससे बात करनी है, इससे नहीं करनी है, ये खाना सही नहीं है...उफ कहीं पढ़ा था लड़कियों को जिंदगी में अपना घर नहीं मिलता चाहे वह सब कुछ न्यौैछावर क्यों न कर दे। अब इस बात का अहसास हो चला है।
इस पोस्ट को लिखते लिखते गले में एक गोला सा अटका हुआ मालूम हो रहा है, आंखों में पानी सा आ रहा है और जलन भी शायद नींद पूरी नहीं हुई है न इसलिए।

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