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Friday, February 26, 2010

..यहां से पंछी बन के उड़ जाऊं

तो आ गई होली। बाजार में तरह तरह के रंग बिखर गए हैं। कल देखा छोटी, फिर उससे बड़ी, उससे भी बड़ी मतलब हर साइज की पिचकारी।
बचपन में मैं रंगों से काफी डरती थी। अगर कोई मेरी मम्मी को रंग लगाता तो मैं और मेरा भाई इतना रोते मेरा भाई तो रोने के साथ एक डंडा लेकर मारने भी दौड़ता। अब वह खुद इतनी होली खेलता है। और मेरी तो बात ही मत कीजिए रंगों से स्कीन एलर्जी लेकिन ससुराल वाले कहां मानते हैं मतलब पूरी तरह रंगों से सराबोर हो जाती हूं।
पर आज बचपन की होली बड़ी याद आ रही है दिल कर रहा है फिर से बचपन में लौट जाऊं। पापा के साथ हम सुबह सुबह ब् बजे की ट्रेन से गांव के लिए निकल पड़ते थे और वहां दादी हमारे इंतजार में बैठी रहती थी जब हम पहुचते थे तभी उनका पुआ बनना शुरू होता था मानो हम न हो तो उनकी होली ही ना हो.. अब वो सब एक सुहाना सपना या अच्छी यादों तक ही सीमित है बहुत पीछे छूटा उनका साथ। ना ट्रेन में ले जानो के लिए पापा हैं और ना गांव पर बेसब्री से इंतजार करती दादी की आंखें..।

Saturday, February 20, 2010

ऐसा नहीं चाहती

मैं नहीं चाहती खो जाना..

Thursday, February 18, 2010

शादी समझौता है..

आज सुबह-सुबह एक बहस से सामना हो गया। सामान्यतया मैं बहस से दूर ही रहना पसंद करती हूं क्योंकि मेरा मानना है कि बहस बुद्धिजीवियों का काम है और मैं खुद को बुद्धिजीवी तो कतई नहीं मानती। पर इसे सौभाग्य कहिए या दुर्भाग्य मैं भी इस बहस में शामिल हो गई।
बहस का मुद्दा शादी और प्यार था। हमारी एक कलीग का कहना था कि प्यार एक अहसास है जबकि शादी समझौता है और जो सबसे ज्यादा समझौता करता है उसकी शादी उतनी कामयाब होती है। पर मैं भी बोल पड़ी [वैसे मैं इन मामलों में उतनी परिपक्व नहीं हूं] कि नहीं आप ऐसा नहीं कह सकते हां ये जरूर है कि शादी समझौते से शुरु होती है पर कुछ ही दिनों बाद वो प्यार का एक अटूट बंधन बन जाती है। और ऐसा नहीं कि प्यार करके शादी करने पर आपको समझौते नहीं करने पड़ते! खैर इस बहस पर कितने व्यंग्य भी हुए। आपको यह बताती चलूं कि उनकी भी अरेंज्ड मैरिज है..!

Saturday, February 13, 2010

कुछ कहना है मुझे

काफी दिनों से सोच रही हूं कि अपने दिल की बात किस को बताई जाए पर कोई ऐसा नहीं दिखता जिसे बताऊं तो सोचा ब्लाग का ही सहारा ले लेती हूं।
ऐसा होता है न कि कभी कोई आपको सुनना न चाहे और आप किसी बात को लेकर घुट रही हो तो किसी को बताने से मन हल्का हो जाता है बस यही प्रॉब्लम मेरे साथ भी हो रही थी।
ब्लाग पर अपने दिल की बात डाल दूंगी जिसका मन हो पढे जिसका न हो न पढे।
बस बना डाला अपना अकाउंट पर आज लिखने बैठी हूं क्योंकि खुद को बड़ा अकेला महसूस कर रही हूं। कोई आस-पास नहीं दिखता आप लोगों को भी लगता है क्या कभी ऐसा क्या करते हैं तब आप..। प्लीज मुझे बताएं