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Tuesday, November 7, 2023

मम्मा की कलम से...

सुबह सात बजे से एम्स हॉस्पिटल और फिर सेंट्रल मार्केट का चक्कर लगाकर वापस आते हुए मेट्रो ट्रेन में पापा की गोद में निश्चिंत भाव से सो रहे तुम्हारे चेहरे को मैं देख रही थी। अचानक मंजिल पर पहुंचने के बाद स्कूटी पर बैठे पापा के पीछे तुम्हें बैठाने लगी तो तुम्हारे जूते से पापा की ब्लू शर्ट में काला गंदा लग गया, उसे हाथों से साफ तो कर दिया मैंने, लेकिन एक ख्याल मन में घुमड़ने लगा। कल को जब मैं और तुम्हारे पापा बूढ़े हो जाएंगे और ऐसा कुछ हमसे हो जाएगा तो तुम्हारी क्या प्रतिक्रिया होगी इसपर। गुस्सा होगे और आगे से हमें अपने साथ बाहर लेकर नहीं जाओगे। ऐसा भी होगा कि हम थककर तुम्हारे या तुम्हारे दादा (Pragyan) के कंधे पर अपना सिर रखकर उसी निश्चिंतता को तलाशेंगे जो अभी तुमदोनों को दे रहे हैं। फिलहाल तो ऐसे हालात हैं कि जिनके दो बेटे हैं- वो किस्तों में अपने मां बाप को रख रहे हैं- छह माह एक तो छह माह दूसरा। ईश्वर ने साथ दिया तो हम दोनों यानि तुम्हारे मम्मी-पापा कभी भी तुम दोनों भाइयों से ज्यादा उम्मीदें नहीं रखेंगे और न ही तुम्हारे व्यक्तिगत मामले में दखल देंगे। जरूरी लगे तो अपनी सलाह दें दे। केवल तुमलोग हमें प्यार और सम्मान देना और कुछ नहीं चाहिए।