बीत गया एक साल और। हमेशा की तरह कुछ यादें जुड़ गयीं हमारी जिंदगी की डिक्शनरी में। आज से नया साल शुरू हो गया है। आप सभी को नये साल की ढेर सारी शुभकामनाएं।
कल से ही फोन पर मैसेजेस की झड़ी सी लगी है। पर पता नहीं क्यों मेरा दिल इन सब मामलों में इतना उत्साहित क्यों नहीं है। लोग सेलिब्रेशन के लिए मौके तलाश रहे हैं पर मैं नहीं। मेरी चाहत है तो बस आराम से बैठने को कुछ पल मिल जाए... पर यह तो होने से रहा अब।
आज गिने चुने लोगों को ही नये साल पर शुभकामनाएं देने को फोन किया वह भी पारंपरिक तौर पर आवश्यकता है इसलिए नहीं तो शायद यह भी नहीं करती बस अपनी मम्मी से बात करती और भाई-बहन से बस। दिल ही नहीं करता किसी से बात करने का। दो मिनट के लिए बात भी करूं तो उसमें कमेंट्स सुनने को मिल जाते हैं। इसलिए मेरा मन नहीं करता किसी से बात करने का।
आज सुबह सुबह पता नहीं क्यों बीते वर्ष की झलक आंखों के सामने घूम गयी। काफी दौड़ती भागती रही हूं मैं इस साल, और अहसास भी नहीं मुझे, कहीं खुद के बारे में सोचना तो नहीं बंद कर दिया मैंने। खैर कोई नहीं आस पड़ोस खुश रहे तो आप भी खुश रहते हैं। और मेरी कोशिश रहती है कि खुश ही रहें सब लोग पर इस साल ने मुझे यह नया अनुभव दिया कि अब इतने से अगर कोई खुश नहीं तो अब इससे अधिक मैं कुछ नहीं कर सकती यानि सैचुरेशन प्वाइंट आ गया है। अब खत्म सब...।
इसलिए नये साल में मैं खुद को शुभकामनाएं देती हूं, मुझे भगवान इंसानों को पहचानने की ताकत दे, लिहाज और आदर की वजह से जिन लोगों की गलत बातों का विरोध नहीं कर पायी हूं अब तक वो इस नये साल पर कर सकूं यानि स्वयं का भी अस्तित्व बनाउंं।
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