किसी का ट्वीट आज सुबह पढ़ा। इस ट्वीट को पढ़कर ऐसा लगा कि कानून बनाने वालों के दिमाग में ये बातें क्यों नहीं आती हैं। बड़ा अहम संदेश देने वाले इस ट्वीट में लिखा था- 6 माह, 2 साल, 7 साल, 10 साल, 17 साल की मासूम बच्चियों से दुष्कर्म होता है तो दोषियों को सजा देने वक्त उनके उम्र का ख्याल क्यों, जब उन्हें दुष्कर्म करने आता है तब तो वे वाकई मैच्योर होंगे फिर सजा के हकदार क्यों नहीं। सऊदी अरब में इस कुकर्म की सजा है- सिर कलम करना।
आज ऐसी ही सजा मिलनी चाहिए हर उस पापी और दुष्कर्मी को जो ऐसा करते वक्त तनिक भी अपनी मां बहन का चेहरा नहीं याद करता।
कल्पाना करके सिहर जाती हूं मैं। किसी अपरिचित का रास्ते में, बस-ऑटो में छू जाना मुझे इरिटेट कर जाता है कैसे उस हैवानियत में शरीर को तार-तार करने करने दे सकती है कोई लड़की... उफ भगवान कहां होते हो तुम उस वक्त...।
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