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Wednesday, August 31, 2011
आ गई मुस्कुराहट
अपनी तारीफ किसे नहीं सुहाती यह एक ऐसी सच्चाई है जिसे कोई नकार ही नहीं सकता. आज सुबह मेरा भी मन हुआ की कोई मेरे लिए दो लफ्ज तारीफ के बोले पर... कुछ स्पेशल जो पहना था मैंने :) सबने कहा पर जिससे उम्मीद की उसने नहीं. तीन बार पूछा होगा या चार- पांच बार पर हूं हां में जवाब मिला। मुझे लगा शायद अब फोन पर... पर नाउम्मीदी के सिवा कुछ नहीं.
फिर अभी सुबह का वाकया याद आ गया जब तैयार होकर निकल रही थी घर से. भले मुंह से ना बोला हो पर आंखों में शायद कुछ था...।
क्योंकि पूछा था रुमाल है तुम्हारे पास पसीना आ रहा है
एक मुस्कुराहट आ गई मेरे चेहरे पर याद जो आ गया उनका अंदाज।
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