सब समझते हुए सरकार अनजान बन रही है। कोई 74 वर्ष की उम्र में दिनरात बिना कुछ खाए-पिए बेकार की जिद तो नहीं करेगा न...। सबके घर में बूढ़े बुजुर्ग होते हैं उन्हें तो लोग वक्त पर खाना, दवाईयां और सारी सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं यहां खुले आसमां के नीचे भूखे प्यासे अन्ना हमारे लिए भूखे हैं देश की भलाई के लिए भूखे हैं और सरकार है कि अपने नखरे अलग दिखा रही है क्यूं.
अभी-अभी प्रधानमंत्री ने कहा कि वो कुछ बोल कर विवाद उत्पन्न नहीं करना चाहते और सरकार भी मजबूत लोकपाल चाहती है तो जब लोकपाल बिल पारित करने की बात आई तो सरकार ने अपने मतलब का मसौदा लोकपाल पर थोपकर पास कर दिया क्या वह जनता के लिए नहीं है। कैसा लोकतंत्र और आजादी भारत में पनप रहा है और दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है वो भी दोगुनी रफ्तार से। इस भ्रष्टाचार के कीड़े ने सबको इतना खोखला कर दिया है कि सबकी बुद्धि कुंद हो गई है। देखते हैं कि आगे क्या होता है... कहीं इस बूढ़े शरीर को ऊर्जा मिल जाए इसी उम्मीद में....
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