आज सुबह उठते ही आसमां में उमडते घुमडते बादलों को देखा. सीधा मन में आया कि हुदहुद का असर होगा.
एक मिनट का समय लगा दिया होगा यह सोचने में। फिर जल्दी-जल्दी भागी किचन की ओर, बेटे को स्कूल जो भेजना होता है। उसके बाद अपनी और पति की तैयारी- भाग दौड़। अंतत: 8.20 पर निकल गई साथ में छाता रख लिया की कहीं बारिश में भीग न जाऊं। ट्रैफिक, भीड़ भाड़ का सामना करते हुए ऑफिस पहुंची।
राहत का सांस लिया और पानी गटक गई। तभी एक कलीग जो मुश्किल से 22-23 की होगी, आकर बोलती है आज मौसम कितना सेक्सी और सुहाना है न!
अरे, मेरे तो ध्यान में ही नहीं आया कि मौसम सुहाना हो रहा... पहले तो ऐसे मौसम में किलक उठती थी। दिल होता था कहीं घूम आऊं ...। सोचने को मजबूर हो गई- आखिर मेरे ध्यान से मौसम का सुहावनापन कहां गायब हो गया। उम्र का तकाजा है या जिंदगी की भाग दौड़ में इन सब चीजों से दूर जा रही हूं ... सुबह से सोच रही आखिर क्यों हुआ ऐसा...!
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