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Saturday, December 7, 2013

क्या पसंद है तुम्हें...

किसी ने मुझसे पूछा क्या पसंद है तुम्हें- मैंने कहा मतलब, उसका कहना कि तुम्हारे शौक जैसे कौन सी फिल्म, कौन सा गाना, एक्टर आदि। कुछ पल को ठहरी मैं जैसे याद करना हो क्या पसंद है मुझे...। आज कहां आ गई हूं कि अपनी पसंद का ध्यान ही नहीं...। लगातार पूछने पर जवाब तो देना ही था। सो पहला जवाब मन में आया फ्रीडम यानि आजादी। बंदिशों से दूर रहूं उड़ती रहूं आसमां में जहां मन हो वहां। बाकी उसे बताया घूमना, किताबें पढऩा और चैन की नींद लेना। उसने कहा बड़ा आसान है तुम्हारा शौक फ्रीडम तो हमेशा होती ही है। मैंने उसे काटा नहीं... पर इसी बात से शुरु हो गयी तकरार खुद से। ये समाज, परिवार कहां चैन की सांस ले पाउंगी। सबों के लिए सोच-सोच कर, कदम रखना कहां है मेरी आजादी मेरे मन की इच्छा कहीं नहीं है...।

1 comment:

  1. आजादी की चाह का अर्थ कर्तव्यों से परे होना नहीं
    आजादी यानि अपना एक विस्तार
    और शब्द भाव दे रहे वो विस्तार

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