Saturday, November 15, 2025

मनुस्मृति की बातें झुठला रहीं आज की महिलाएं

मनुस्मृति को तो पढ़ा और सुना होगा। इससे पता चलता है कि किस तरह महिलाओं को गुलाम और दास बनाने की कवायद सदियों पहले शुरू की गई थी। हालांकि मनुस्मृति के लेखक को यह भान भी न होगा कि इसका नतीजा महिलाओं को बुलंदी पर ले जाएगा। आज के समय में महिलाएं चौखट के भीतर दबने के बजाए अपने दम पर दुनिया में नाम कमा रहीं हैं। यही वे महिलाएं हैं जो मनुस्मृति में लिखी गई बातों को सिरे से झुठला रहीं हैं। अंतरिक्ष से लेकर खेल के मैदान तक हर जगह उन्हीं महिलाओं का परचम बुलंद है जिन्हें मनुस्मृति में जिंदगी भर पुरुषों की गुलामी करने का आदेश दिया गया था। शादी से पहले पिता, शादी के बाद पति और मरते दम तक संतान इन महिलाओं का मालिक होगा। पढ़ी-लिखी महिलाओं के साथ वैसी महिलाएं भी घर से निकल कर कमा रहीं हैं जो अनपढ रहीं लेकिन अपनी क्षमता का बखूबी इस्तेमाल करना जानती हैं। मेरे यहां घरेलू सहायिकाएं इसका उदाहरण हैं। ये सभी अपनी आमदनी से घर का खर्च चला रहीं हैं। अभी के समय में पिता ही अपनी बेटियों को आगे बढ़ाते हैं और समाज में दंभ भरते हैं। उनके बल पर आगे बढ़ने वाली बेटियां उन्हीं पुरुषों के साथ जीवन बिताना पसंद कर रहीं हैं जो उन्हें सम्मान देने के काबिल हैं।

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