मन का उचाट हो जाना, अजीब सा पल होता है... किसी भी काम में दिल नहीं लगता उस वक्त। कभी-कभी तो समझ ही नहीं आता कि ऐसा हो क्यूं रहा है।
हर चीज अपने गति से सही है, फिर मन में इतनी उलझने और कशमकश क्यूं। बिना मतलब कोई बात दिल को चुभ जाती है, चाहे उसका कोई मतलब बने न बने।
और तो और इसे सुलझाना भी खुद ही है, किसी से शेयर करने पर भी यह निश्चित नहीं की आपके दिल का बोझ हल्का हो जाएगा। उल्टा और भारी हो जाए इसके 99% चांस हैं।
इसलिए मैं भी सोच रही हूं,कि किसी से बताकर दिल को और भारी करने के बजाय इसे ऐसे ही छोड़ देती हूं, थोड़ा टाइम लगेगा पर विश्वास है किसी न किसी अच्छी बात से इस बात को सुकून मिलेगा ही।
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