ओह्ह चालबाजियां नहीं नादानियां हैं ये...
सामने वाला सोचता है कि उसकी चालाकी कोई नहीं समझ रहा...
कहां हो तुम, किस दुनिया में जी रहे हो...
सब समझ रहे हैं हम, तुम्हारी एक-एक चाल से वाकिफ हैं
जुदा है ये.. कि सब समझते हुए भी हमने तुम्हारी इस बेवकूफी का जवाब नहीं दिया
लेकिन जान लो कारण ऐसा कर उस निचले पायदान पर नहीं आना चाहते जहां तुम खड़े हो
कुछ नहीं कहते इसका मतलब बेवकूफ नहीं हैं हम...
अपने इर्द गिर्द तुम जैसे लोग ही तो भरे पड़े हैं काफी कुछ सीख लिया है
अब हंसी आती है कभी-कभी तुम जैसे लोगों की नादानियों पर सबको खाली हाथ ही जाना है...
फिर भी इल्तजा है मेरी- बची-खुची जिंदगी को दोजख न बनाओ।