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Thursday, February 18, 2010

शादी समझौता है..

आज सुबह-सुबह एक बहस से सामना हो गया। सामान्यतया मैं बहस से दूर ही रहना पसंद करती हूं क्योंकि मेरा मानना है कि बहस बुद्धिजीवियों का काम है और मैं खुद को बुद्धिजीवी तो कतई नहीं मानती। पर इसे सौभाग्य कहिए या दुर्भाग्य मैं भी इस बहस में शामिल हो गई।
बहस का मुद्दा शादी और प्यार था। हमारी एक कलीग का कहना था कि प्यार एक अहसास है जबकि शादी समझौता है और जो सबसे ज्यादा समझौता करता है उसकी शादी उतनी कामयाब होती है। पर मैं भी बोल पड़ी [वैसे मैं इन मामलों में उतनी परिपक्व नहीं हूं] कि नहीं आप ऐसा नहीं कह सकते हां ये जरूर है कि शादी समझौते से शुरु होती है पर कुछ ही दिनों बाद वो प्यार का एक अटूट बंधन बन जाती है। और ऐसा नहीं कि प्यार करके शादी करने पर आपको समझौते नहीं करने पड़ते! खैर इस बहस पर कितने व्यंग्य भी हुए। आपको यह बताती चलूं कि उनकी भी अरेंज्ड मैरिज है..!